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अशोक गहलोत सरकार का एक मंत्री देगा इस्तीफा

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके मंत्रिमंडल सदस्यों का विवादों से चौली—दामन का साथ है। वर्तमान सरकार में भी आधा दर्जन से अधिक मंत्री किसी ना किसी बहाने विवादों में ही रहे हैं। हालांकि, अभी तक किसी मंत्री को विवाद के बाद हटाया नहीं गया है और ना ही किसी ने इस्तीफा दिया है। चाहे हरीश चौधरी के मंत्री रहते बाड़मेर में कमलेश प्रजा​पति एनकाउंटर में नाम आने पर सीबीआई जांच सौंपने का मामला हो, या रीट पेपर लीक प्रकरण में तत्कालीन शिक्षामंत्री व पीसीसी चीफ गोविंदि सिंह डोटासरा का आरोपों से घिरे रहने का प्रकरण हो, बार गहलोत ने अपनी ओर से इस्तीफा ना तो मांग और ना ही किसी मंत्री को बर्खास्त किया। ऐसे में लोगों का लग रहा था कि गहलोत की जादूई राजनीति के सहारे यह सरकार पायलट—गहलोत विवाद के बाद भी आराम से पांच साल का समय पूरा कर लेगी। लेकिन जिस तरह से राज्य की राजनीति में एक मंत्रीपुत्र के कुकर्मों के कारण देशभर में गहलोत मंत्रीमंडल पर उंगलियां उठने लगी हैं, उससे साफ है कि यह सरकार भी पिछली गहलोत सरकार की तरह ही विवादों के साथ विदा होने वाली है। दो दिन पहले ही मुकदमा दर्ज होने के बाद सुर्खियों में आए राज्य के जलदाय मंत्री महेश जोशी के पुत्र और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य रोहित जोशी पर दिल्ली पुलिस की ओर से एक 23 वर्षीय टीवी एंकर रही लड़की के साथ दुष्कर्म करने सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किए जाने के बाद राजस्थान का सियासी पारा चरम पर पहुंच चुका है। पहले सामने आया था कि मामला दिल्ली पुलिस द्वारा जीरो नंबर एफआईआर के बाद राज्य की सवाईमाधोपुर पुलिस को भेजा जाएगा, लेकिन कहा जाता है कि इस फोटो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद अचानक से दिल्ली पुलिस ने तय किया कि जांच दिल्ली पुलिस का ही बड़ा अधिकारी करेगा, तब से राज्य पुलिस के हाथ में कुछ भी नहीं रह गया है। दिल्ली पुलिस ने अपनी स्टाइल में फुर्ती दिखाते हुए दूसरे ​ही दिन पीड़िता के बयान दर्ज कर जांच शुरू भी कर दी है और कभी भी मंत्रीपुत्र की गिरफ्तारी की खबर सामने आ सकती है। इस मामले में जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का बयान सामने आ चुके हैं, जो कहते हैं कि दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा, चाहे मंत्री का बेटा हो या फिर कलेक्टर का। तो अब कांग्रेस की सत्ता और संगठन में बैठे लोगों द्वारा भी नैतिकता के आधार पर महेश जोशी का इस्तीफा लेने का दबाव बढ़ गया है। हालांकि, महेश जोशी ने कहा है कि वह हमेशा सच्चाई के साथ खड़े रहे हैं और इस मामले में भी दोषी को सजा मिलनी चाहिए, ऐसा उनका मत है। यह प्रकरण करीब दो माह पहले सामने आया था, जब जयपुर पुलिस ने रोहित जोशी व पीड़िता को दिल्ली की एक होटल से बरामद किया था। तब भी पीड़ित लड़की ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर तहलका मचा दिया था। इधर, विपक्षी दल भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस में बैठे मंत्री महेश जोशी के विरोधियों ने सीएम अशोक गहलोत पर इस्तीफा देने का दबाव बढ़ा दिया है और अंदर खाने इस्तीफे को लेकर मुहीम भी शुरू कर दी है। इसके साथ ही विरोधी नेताओं के समर्थकों ने भी सोशल मीडिया के जरिए महेश जोशी का इस्तीफा लेने की मांग उठानी शुरू कर दी है। ऐसे में अब सत्ता और संगठन इस मामले को लेकर असमंजस में है कि महेश जोशी का इस्तीफा लिया जाए या नहीं। असल तो यह है कि जयपुर जिले के एक कैबिनेट मंत्री और दो विधायकों को नाम सामने आ रहे हैं जो इस प्रकरण को लेकर पुश कर रहे हैं। साथ ही कांग्रेस की एक नेत्री, जो पूर्व में जयपुर की मेयर रह चुकी हैं, उनके द्वारा भी महेश जोशी के साथ पुरानी दुश्मनी का बदला लेने के लिए मेहनत की जा रही है। कांग्रेस के विश्वस्त सूत्रों कहना है कि मंत्री जोशी के बेटे रोहित जोशी प्रकरण को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मंगलवार को दिल्ली में प्रदेश प्रभारी अजय माकन सहित पार्टी के कई शीर्ष नेताओं से भी चर्चा हुई है। बताया जा रहा है कि मंत्री महेश जोशी के इस्तीफे को लेकर जल्द फैसला हो सकता है, क्योंकि आगामी 13 से लेकर 15 अप्रैल तक राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस का राष्ट्रीय स्तरीय चिंतन शिविर आयोजित होने जा रहा है। ऐसे में कहा जा रहा है कि कांग्रेस की सत्ता और संगठन के सामने मंत्री महेश जोशी का इस्तीफा लिए जाने की एक वजह यह भी है कि 13 से 15 मई तक उदयपुर में कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय चिंतन शिविर पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्षा सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा सहित पार्टी के सभी शीर्ष नेता उदयपुर में मौजूद रहेंगे। ऐसे में अगर रोहित जोशी प्रकरण को लेकर विपक्ष ने इस मामले को जोर-शोर से उठाया तो कांग्रेस के चिंतन शिविर के दौरान यही मुद्दा सुर्खियों में रहेगा, जिससे शीर्ष नेताओं के सामने ही सरकार और संगठन की किरकिरी हो सकती है। ऐसे में इस मामले को शांत करने के लिए सत्ता और संगठन कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। कांग्रेस के सूत्रों का दावा है कि इस मामले में आज रात तक या कल पक्के तौर पर कोई निर्णय हो सकता है। कैबिनेट मंत्री महेश जोशी के पुत्र रोहित जोशी का प्रकरण पिछले 2 दिन से सियासी गलियारों के साथ-साथ प्रशासनिक हलकों में भी चर्चा का विषय बना हुआ है। महेश जोशी को मुख्यमंत्री गहलोत के बेहद करीब होने और जयपुर का सबसे प्रभावशाली मंत्री होने के चलते नौकरशाह भी इस पूरे मामले पर नजर बनाए हुए हैं। जयपुर से महेश जोशी और प्रताप सिंह खाचरियावास ही कैबिनेट मंत्री हैं। यह भी कहा जाता है कि महेश जोशी, प्रताप सिंह खाचरियावास, विधायक अमीन कागजी व रफीक खान के बीच जयपुर जिला अध्यक्ष बनने को लेकर अंतरुनी खींचतान भी चलती रहती है। आपको याद होगा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के दूसरे कार्यकाल के दौरान 2013 भी तत्कालीन मंत्री बाबूलाल नागर पर दुष्कर्म का मामला दर्ज होने के बाद उनका इस्तीफा लिया गया था। नागर इस वक्त दूदू विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक हैं। उससे पहले 2011 में एएनएम भंवरीदेवी अपहरण और मर्डर प्रकरण में तत्कालीन जलदाय मंत्री महिपाल मदेरणा को भी मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। बाद में वह 10 साल तक जेल में रहे और पिछले साल के अंत में दुनिया से विदा हो गये। जयपुर की ही रहने वाली 23 वर्षीय युवती ने मंत्री महेश जोशी के पुत्र रोहित जोशी के खिलाफ दिल्ली के सदर थाने में दुष्कर्म से विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाया है, इस मामले की जांच अब दिल्ली पुलिस कर रही है। सियासी गलियारों में चर्चा यह भी है कि केंद्र के एक मंत्री, जो कि राजस्थान से सांसद हैं, उनके द्वारा इस मामले में दखल देने के कारण ही दिल्ली पुलिस ने मामला अपने पास रखा है, ​ताकि गहलोत सरकार की रगडाई कर सके। मामला पूरी तरह से राजनीतिक हो चुका है, ऐसे में एक बार फिर से अशोक गहलोत की जादूगरी की अग्निपरीक्षा है। वैसे अशोक गहलोत किसी भी हद तक जाकर अपने करीबी लोगों को बचाने के लिए जाने जाते हैं, इसलिए इस मामले पर सभी नजरें टिकी हुई हैं।

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