Ram Gopal
कोरोना के कारण भारतीय सेना द्वारा भर्तियां नहीं की गई हैं, जिसके कारण कई युवा ओवरएज होने के कारण डिप्रेशन में चल रहे हैं। राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में कुछ युवाओं द्वारा आत्मदाह की चेतावनी देकर केंद्र सरकार अपील की जा रही है। इसी बीच सेना में जाने के इच्छुक देश के युवाओं के लिए भारतीय सेना के द्वारा सुनहरा अवसर लाया जा रहा है। इसकी अधिकारिक घोषणा आजकल में कर दी जाएगी। इस योजना के शुरू होने के बाद इंडियन आर्मी में जाकर देश सेवा करने की लालसा रखने वाले लाखों युवकों का जीवन बदल जाएगा।
खास बात यह है कि इस योजना से ना केवल रोजगार मिलेगा, बल्कि भारतीय सेना के जवानों की औसत उम्र भी कम से कम 10 साल कम हो जाएगी, जिसके कारण दुगर्म इलाकों में सेवाएं देने वाले फौजियों को ड्यूटी देने में आसानी होगी। पूरी योजना और उसके तमाम फायदों को समझिये, उससे पहले यह जान लीजिए कि इस वक्त संख्याबल के आधार पर इंडियन आर्मी दुनिया दूसरी सबसे बड़ी सेना है, जिसकी थल सेना, वायुसेना और जलसेना के रुप में तीन विंग हैं। इन तीनों सेनाओं के सेना प्रमुखों का मुखिया सीडीएस, चीफ ओफ डिफेंस स्टाफ प्रमुख होता है। भारत के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत थे, जिनका कुछ माह पहले एक हवाई दुर्घना में निधन हो गया था।
इस नई योजना के तहत इंडियन आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में जाने के लिए तैयार बैठे युवाओं को चार साल के लिए भर्ती किया जाएगा। भर्ती के बाद सब सैनिकों की 6 महीने की कठोर ट्रेनिंग होगी। इस अनौखी योजना को नाम दिया गया है अग्निपथ, या टूर ओफ ड्यूटी। इसका तात्पर्य यह है कि अब इंडियन आर्मी में सैनिकों की सभी भर्तियां टूर ऑफ ड्यूटी (TOD) के तहत होंंगी। इसकी रूपरेखा फाइनल तैयार कर ली गई है। भारत सरकार की ओर से इसी महीने इसका ऐलान करने की तैयारी है। यह तय किया गया है कि टीओडी के तहत युवाओं को शुरू में चार साल के लिए सेना में भर्ती किया जाएगा।
बाद में तय किया जाएगा कि इनमें से कितनों को परमानेंट किया जाना है? कौन परमानेंट होगा, इसके लिए सिलेक्शन बोर्ड बनाया जाएगा, जो सैनिकों की प्रफेशनल दक्षता के आधार पर उनका चयन करेगा। जिस तरह ऑफिसर रैंक में काबिलियत के हिसाब से आगे बढ़ते हैं, उसी तरह सैनिक भी अपनी योग्यता के हिसाब से परमानेंट होंगे। कम समय तक सर्विस का जवाब यह है कि शॉर्ट सर्विस कमिशन के तहत जो अधिकारी आते हैं, उनमें से भी करीब 20-25 पर्सेंट को ही परमानेंट कमिशन मिल पाता है, इसलिए यह कोई नया प्रयोग नहीं है, लेकिन नये तरीके से किया गया प्रयोग है, जो अधिक से अधिक योग्य युवाओं को सेना से जोड़ेगा।
टूर ओफ ड्यूटी में सैनिकों के रिक्रूटमेंट का तरीका अभी वही रहेगा, जो अब तक रहा है, बाद में धीरे धीरे इसमें बदलाव करने की भी योजना है। टीओडी में रिक्रूटमेंट के लिए पैटर्न चेंज कर लिखित परीक्षा पहले और फिजिकल टेस्ट बाद में किया जा सकता है। जो युवा टूर ऑफ ड्यूटी के तहत सेना में आएंगे, उनकी छह महीने की बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग होगी। योजना के तहत 18 साल के युवा सेना में आएंगे और चार साल बाद बाहर निकलेंगे तो उनकी उम्र 21-22 साल की होगी। सेना से निकलकर ये युवा दूसरा रोजगार कर सकें, इसलिए चार साल की सर्विस के दौरान ही इन्हें प्रफेशनल डिग्री और डिप्लोमा कोर्स भी कराए जाएंगे। जब युवा रिक्रूट होंगे तो उन्हें चार साल की सर्विस के दौरान करीब 30 हजार रुपये सैलरी मिलेगी।
इस योजना से कई सवाल हैं, जिनमें पहला यह है कि जब युवाओं को 21—22 साल में रिटायर कर दिया जाएगा, तो आगे का जीवन कैसे बिताऐंगे? टीओडी के तहत सैनिकों को सेना से बाहर होने पर न तो पेंशन मिलेगी न ही ईसीएचएस जैसी कोई स्वास्थ्य स्कीम का फायदा मिलेगा, लेकिन चार साल की सर्विस के बाद जब वह बाहर होंगे तो उन्हें एकमुश्त करीब 10-12 लाख रुपये दिए जाएंगे। ड्यूटी के दौरान ही प्रोफेशनल डिग्री ओर डिप्लोमा कोर्स कर चुके होंगे, इसलिए सेना की ओर से मिलने वाले 10—12 लाख रुपये से वे स्व रोजगार शुरू कर सकेंगे। अगर आर्मी सर्विस के दौरान ड्यूटी पर किसी सैनिक की मौत हो जाती है तो परिवार को इंश्योरेंस अमाउंट के तौर पर करीब 45-50 लाख रुपये मिलेंगे, साथ ही जो बाकी बची हुई सर्विस होगी, उसकी सैलरी भी परिवार को मिलेगी।
सेना के अधिकारियों का मानन है कि इस योजना से भारतीय सेना जवान हो जाएगी। अभी जो सैनिक सूबेदार मेजर तक जाते हैं, तब तक वह 50 साल के हो जाते हैं। इस तरह देखा जाए तो सेना में सैनिकों की एवरेज उम्र करीब 35-36 साल है। टीओडी लागू होने के बाद एज प्रोफाइल कम हो जाएगा और सेना ज्यादा यंग हो जाएगी। टीओडी लागू होने के चार-पांच साल बाद सैनिकों की एवरेज ऐज 25-26 साल हो जाएगी। इससे भारतीय सेना चीन जैसे दुश्मन देश से मुकाबला करने में सक्षम होगी, क्योंकि पहाड़ी इलाकों में जवान सोल्जर दुश्मन सैनिकों से मुकाबला कर पाएंगे।
इस योजना को शुरू करने के पीछे चार बड़े कारण हैं। इनके बारे में विस्तार से बात करेंगे कि आखिर सरकार को टीओडी लागू करने की आवश्यकता क्यों पड़ रही है? जमाना बदल रहा है और बदलते जमाने में देश को अत्याधुनिक हथियारों की जरुरत है। आवश्यकता के लिए हथियार या तो आयात करने पड़ते हैं या फिर देश में ही हथियारों के लिए बड़ी फैक्ट्रियां स्थपित करनी पड़ रही हैं, जिसके कारण सेना का बजट बढ़ रहा है। दूसरी ओर भारतीय सेना में सक्रिय सैनिकों से अधिक निष्क्रिय सेनिकों की तादात अधिक है।
सक्रिय सैनिक जहां देश की सीमाओं पर व अंदरुनी हिस्सों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन निष्क्रिय सैनिक आपातकाल के लिए रिजर्व हैं, इनपर होने वाला खर्च सरकार को भारी पड़ रहा है। लाखों सैनिक तो ऐसे होते हैं, जो कभी जीवन में किसी सैन्य अभियान का हिस्सा बने बिना ही रिटायर हो जाते हैं। ऐसे सैनिकों को ड्यूटी के दौरान तनख्वाह के अलावा अन्य खर्च देने पड़ते हैं और जब रिटायर होते हैं तो मोटी पेंशन व एकमुश्त मिलने वाली रकम के कारण आर्मी पर आर्थिक भार बढ़ता जा रहा है। टीओडी लागू होने से सेना को रिटायर सैनिकों की पेंशन से छुटकारा मिल जाएगा और लंबे समय तक सेवा में रहकर भी केवल खर्च बढ़ाने वाले सैनिकों की संख्या में कमी आएगी।
जितनी पेंशन एक सैनिक को रिटायर होने के बाद दी जाती है, उसके ब्याज में सैनिक को 10—12 लाख रुपये एकमुश्त देकर किसी स्व रोजगार के लिए प्रेरित किया जाएगा, जिससे वह जीवनभर काम धंध कर सकेगा। जो सबसे अधिक योग्य होंगे, उनको स्थाई कमिशन दिया जाएगा।
इसी तरह से सेना में रहते हुए किसी अभियान में शहीद होने पर शहीद सैनिक परिवार को जो लाभ दिए जाते हैं, वो भी नहीं देने होंगे। क्योंकि सरकार सभी सैनिकों को परमानेंट नहीं रखेगी। इस चार साल के संविदा काल के दौरान जो सैनिक शहीद होंगे, उनको सेना के बजाए इंश्योरेंस कंपनी 45—50 लाख रुपये का क्लेम देगी। शहीद के परिवारों को दिये जाने वाले अन्य खर्चे भी सेना को नहीं करने होंगे, क्योंकि ड्यूटी ज्वाइन करने पहले ही इसका एग्रीमेंट होगा। इस तरह से सेना को सैनिक भी मिल जाएंगे और बाद के मोटे खर्चों से भी बचा जा सकेगा।
टीओडी में जो सैनिक भर्ती किये जाएंगे, उनको 6 महीने के सैनिक प्रशिक्षण के बाद ड्यूटी पर भेजा जाएगा, ना कि रिजर्व सैनिक बनाया जाएगा। इसलिए जो तनख्वाह सोल्जर को देय होगी, उसका भार भी सेना को नहीं खलेगा। इनमें से केवल 25 फीसदी को ही परमानेंट किया जाएगा, जो भी बाद में नये सैनिकों के मार्गदर्शक के तौर पर ड्यूटी पर ही रहेंगे, इसके कारण रिजर्व रहने वाले सैनिकों की संख्या में कमी आएगी, अधिकांश सैनिक सक्रिय सेना के तौर पर ही काम करेंगे, जिससे निष्क्रिय सैनिकों पर होने वाले खर्चे में बड़े पैमाने पर कमी आएगी।
सबसे बड़ी बात यह है कि इस योजना में चार साल सैनिक रहने के बाद जब व्यक्ति बाहर होगा, तो वह शरीरिक तौर पर फिट होगा, आर्मी से ट्रेंड होगा और मानसिक तौर पर युद्ध के लिए तैयार होगा, जिसके कारण जब कभी भी देश को किसी अभियान में अधिक सेना की जरुरत होगी, तो ऐसे रिटायर सैनिक अचानक ड्यूटी के लिए तैयार मिलेंगे। इसी तरह से सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, बीएसएफ और स्थानीय पुलिस में भर्ती होने वाले इच्छुक ट्रेंड युवा भी उपलब्ध होंगे, जो सेना द्वारा प्रशिक्षित होने के कारण बेहतर तरीके से काम कर सकेंगे। इस्राइल जैसे देशों में प्रत्येक व्यक्ति को सेना का प्रशिक्षण दिया जाता है, जिनकी जरुरत होने पर वे देश सेवा के लिए तैयार मिलते हैं। ऐसे ही भारत में भी प्रशिक्षित उन युवाओं की संख्या खूब हो जाएगी, जो देश को जरुरत होने पर जल्द से जल्द सेवा के लिए तैयार मिलेंगे।
टीओडी का एक लाभ यह होगा कि युवा अपनी जवानी के शुरुआती साल देश सेवा में दे सकेंगे, उसके बाद जब परिपक्वता की ओर बढ़ेंगे तब एक मुश्त मिले पैसों से स्व रोजगार स्थापित कर सकेंगे और दूसरों को रोजगार देने का काम भी सकेंगे, जिससे बेरोजगारी की समस्या कम होगी और अपराध काबू में होंगे। इस वक्त जो युवा बैंकों से ऋण लेकर अपना काम शुरू करते हैं, उनके लिए भी टीओडी का लाभ मिलेगा, क्योंकि उनको चार साल बाद किसी बैंक लोन लेने की जरुरत नहीं होगी। सरकार इस योजना के द्वारा अपने बहुउद्देश्य पूरे करना चाहती है, ताकि सेना को जवान किया जा सके, युवाओं को फिट रहने का बहाना दिया जा सके, देश सेवा के लिए तैयार लोगों की संख्या बढ़ाई जा सके, और सेना में संख्याबल के कारण बढ़ रहे खर्च को कम कर उसे उन्न्त तकनीक वाले हथियारों के शोध व निर्माण पर खर्च किया जा सके। ऐसे में यह योजना लंबे समय के लिए इंडियन आर्मी में कई बदलाव लाएगी।
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