भारत के सबसे बड़े दुश्मन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, यूक्रेन पर पिछले तीन माह से सैन्य अभियान चलाने वाले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और दुनिया की महाशक्ति कहे जाने वाले अमेरिका के प्रेसिडेंट जो बाइडन गंभीर बीमारी से ग्रसित बताए जा रहे हैं। पिछले दिनों बताया गया कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ब्लड कैंसर की बीमारी से ग्रसित हैं। पिछले दो दशक से रूस के व्लादिमिर पुतिन रूस की सत्ता में रहे हैं। इस दौरान वह लगातार राष्ट्रपति रहे, उसके बाद प्रधानमंत्री बने और फिर से राष्ट्रपति बने गये।
अब बताया जा रहा है कि वह आजीवन रूस के राष्ट्रपति रहने वाले हैं, इसके लिए संविधान में बदलाव करने की बातें सामने आ रही हैं। पुतिन को लेकर पश्चिमी मीडिया के द्वारा यह भी अफवाह फैलाई गई कि उनकी पीठ में कैंसर का ओपरेशन हुआ है और वह इस बीमार से जूझ रहे हैं। रूस के द्वारा यूक्रेन के खिलाफ जारी सैन्य अभियान के बीच पश्चिमी मीडिया ने कई बार पुतिन को लेकर जमकर अफवाहें फैलाई हैं। कभी रूस के कारोबारियों को लेकर, कभी वहां की जनता की बगावत के बारे में, कभी आर्थिक तौर पर बर्बाद होने के तो कभी दुनिया के दूसरे देशों के साथ संबंध खराब होने की भी अफवाह फैलाई गईं।
इसी तरह से चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए चीन की साम्यवादी पार्टी ने उनको आजीवन राष्ट्रपति बने रहने के लिए कानून में बदलाव कर दिया है। हालांकि, शी जिनपिंग भी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। पश्चिमी मीडिया के अनुसार जिनपिंग को भी सैरब्रल एन्युरिज्म जैसी बड़ी बीमारी है। उनको कोरोना के कारण 2021 के अंत में अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था, उसके बाद भी जिनपिंग खून की नसों को नरम करने व मस्तिष्क की सूजन को कम करने के लिए चीन की परम्परागत दवाइयों का सहारा ले रहे हैं।
जयपुर के मशहूर न्यूरोसर्जन डॉ. राजवेंद्र सिंह चौधरी के अनुसार ब्रेन एन्यूरिज्म, जिसको ही सेरेब्रल एन्यूरिज्म या इन्ट्रेकैनियल एन्यूरिज्म भी कहते हैं, के कारण मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं की दीवार कमजोर पड़ जाने के कारण उसमें सूजन आने लगती है। यदि ब्रेन एन्यूरिज्म बढ़ता है, तो रक्त वाहिकाएं बहुत कमजोर हो जाती हैं, जिससे एन्यूरिज्म फट जाता है और इसके चलते मस्तिष्क के आसपास खून जमा हो जाता है। इस स्थिति को सबरएक्नॉयड हैमरेज कहा जाता है। जिनपिंग अभी केवल 68 साल के हैं। इस जानलेवा बीमारी के चलते पिछले दिनों उनके द्वारा 2022 के अंत तक राष्ट्रपति का पद छोड़ने की बातें भी सामने आई थीं।
इसी तरह से महाशक्ति अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन भी एक बीमारी से जूझ रहे हैं, जो भूलने के तौर पर जानी जाती है। डेली मैल की खबर के अनुसार जो बाइडन को संज्ञात्मक बोध को लेकर प्रश्न उठते हैं। 78 वर्षीय उम्र दराज अमेरिकी राष्ट्रपति ने पिछले दिनों एक टीवी इंटरव्यू में उनके बेटे को लेकर पूछे गये सवाल पर भी उल्टा सीधा जवाब दिया था, बाद में एक प्रेस नोट जारी कर सही जानकारी दी गई। बाइडन ने टीवी इंटरव्यू में खुद के बेटे को लेकर कहा था कि अफगानिस्तान में आर्मी के लिए सेवाएं दी थीं, जबकि उनके बेटे ने इराक में सेवाएं दी थीं। इससे पहले भी कई बार उनके द्वारा गलत जानकारी देने की बातें सामने आई हैं। दो साल पहले चुनाव के दौरान भी वह सभाओं में कई बार गलत जानकारी बोल देते थे, जिसके बाद सफाई देनी पड़ती थी।
बाइडन को दो बार एन्यूरिज्म और दिल की बीमारी की जानकारी सामने आ चुकी है। इस बीमारी में धड़कने बढ़ जाती हैं और चक्कर आने के बाद व्यक्ति उल्टा सीधा बोल जाता है। संविधान के अनुसार अमेरिका में कोई भी व्यक्ति लगातार अधिकतम दो बार राष्ट्रपति बन सकता है, इसलिए बाइडन अभी एक बार और अमेरिकी प्रेसिडेंट बन सकते हैं, वह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तरह आजीवन नहीं रह सकते।
इस बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा पिछले दिनों गुजरात के भरूच जिले में एक वर्चुवल रैली को संबोधित करते हुए जो कहा गया, इस वीडियो में हम उनके बारे में बात करेंगे, लेकिन उससे पहले भारत में पीएम बनने के संवैधानिक नियम क्या हैं, इसकी बात करते हैं। भारत का संविधान प्रधानमंत्री बनने के लिए किसी को भी सीमाओं नहीं बांधता है। यदि कोई आदमी योग्य है, तो कितनी बार भी पीएम बन सकता है। भारत में अब तक पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू चार बार, कुल 16 साल, 286 दिन तक प्रधानमंत्री रहे थे। नेहरू नवंबर 1947 से 27 कई 1964 तक आजीवन प्रधानमंत्री रहे। इसी तरह से उनकी बेटी इंदिरा गांधी भी 1966 से 1977 और 1980 से लेकर 1984 में, जब उनकी हत्या हुई, तब तक प्रधानमंत्री रहीं। इंदिरा गांधी के चारों कार्यकाल जोड़ लें तो वह चार बार प्रधानमंत्री बनीं। वह भारत की पहली और आखिरी महिला प्रधानमंत्री बनीं।
हालांकि, इनके अलावा अटल बिहारी वाजपेयी भी तीन बार प्रधानमंत्री रहे हैं, लेकिन कभी 13 दिन, कभी 13 महिने और फिर 5 साल ही बन सके हैं। वर्तमान प्रधानममंत्री नरेंद्र मोदी 2014 से लगातार दूसरी बार पीएम हैं। इस तरह से वह नेहरू, इंदिरा के उपरांत मनमोहन सिंह के बाद अब तक सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहने वाले चौथे व्यक्ति हो चुके हैं। मोदी ने साल 2014 में पहली बार शपथ लेने के बाद सबसे पहले अपनी ही पार्टी में उम्र दराज नेताओं के करियर पर स्ट्राइक की थी। उन्होंने 75 साल से उपर के नेताओं पर सक्रिय राजनीति के बजाए मार्गदर्शक मंडल का निर्धारण किया, जिसमें लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी जैसे नेताओं को भेजा। इनके साथ ही आधा दर्जन भाजपा नेता 75 पार होते ही सक्रिय राजनीति से दूर हो चुके हैं।
पीएम मोदी खुद इस वक्त 71 साल के हो चुके हैं और इस लिहाज से देखें तो 2026 में 75 साल के होने के कारण वह खुद ही रिटायर हो जाएंगे। तब तक वह तीन बार प्रधानमंत्री बन चुके होंगे और कुल 12 साल तक प्रधानमंत्री बनकर देश की सेवा कर चुके होंगे। किंतु सवाल यह उठता है कि क्या मोदी के मन में भी नेहरू, इंदिरा और शी जिनपिंग की तरह आजीवन प्रधानमंत्री रहने का लालच है? पिछले दिनों गुजरात के भरूच जिले में आयोजित एक वर्चुवल रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिक्र किया कि एक बड़े नेता उनके पास आए और उनके दो बार प्रधानमंत्री बनने के बारे में जिक्र करते हुए कई बातें कहीं, लेकिन उन्होंने कहा कि वह गुजरात की मिट्टी से बने हैं, जो रुकने वाले नहीं हैं।
वैसे तो मोदी पिछले दिनों उनसे मिलने वाले शरद पवार के बारे में जिक्र कर रहे थे, लेकिन उस रैली के समय किसी ने ना तो उनको सवाल पूछा था, ना ही ऐसा कोई संदर्भ था कि वह अपने आकांक्षा या महात्वाकांक्षा के बारे में जिक्र करते, फिर भी उन्होंने जिस तरह से बातों से बातों में यह संदेश दिया है कि वह दो बार या तीन बार प्रधानमंत्री बनने से संतुष्ट होने वाले नहीं है, उनकी इरादों को दर्शाता है। वैसे वर्तमान परिस्थितियों के हिसाब से देखा जाए तो निकट भविष्य में उनको विपक्ष की ओर से चुनौती मिलती दिखाई नहीं दे रही है। राजनीति के जानकार यह भी कह रहे हैं कि भाजपा आने वाले दो या तीन दशक तो देश की राजनीति में छाई रहेगी।
अब सवाल यह उठता है कि यदि 75 पार जाने के बाद भी यदि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने रहेंगे तो उनके ही बनाए नियम टूट जाएंगे, जो भाजपा के लिए फिर एक नई परंपरा बन जाएगी। जिस भाव से उन्होंने परोक्ष रुप से रैली में कहा कि वह दो बार प्रधानमंत्री बनकर संतुष्ट नहीं है, वह गुजरात की अलग धातु के बने हैं, तो क्या वह 2024 में तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद जब 2026 में 75 साल के हो जाएंगे, तब पद छोड़ देंगे? यदि मोदी के मन में यही चल रहा है तो विपक्ष के नेताओं के बजाए खुद भाजपा नेताओं के लिए ही चिंता विषय है, जो प्रधानमंत्री बनने की कतार में बैठे हैं।
बीते 42 साल से मोदी के कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ने में मदद करने वाले गृहमंत्री अमित शाह अगले प्रधानमंत्री की दौड में सबसे आगे हैं, वही उत्तर प्रदेश की सत्ता में लगातार दूसरी बार आने वाले योगी आदित्यनाथ को भी जनता प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहती है। इसलिए यदि मोदी की बातों में कहीं ना कहीं यह भाव है कि वह आजीवन प्रधानमंत्री रहेंगे या 2026 के बाद भी स्वास्थ रहने तक पीएम रहना चाहते हैं, तो अमित शाह व योगी आदित्यनाथ के साथ भाजपा के उन नेताओं के सपनों पर भी गहरा कुठाराघात होगा, जो प्रधानमंत्री बनने के सपने देखते रहते हैं।
मोदी आजीवन प्रधानमंत्री बने रहना चाहते हैं!
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