भारत की नरेंद्र मोदी सरकार ने बीते आठ साल में हथियार खरीद और घरेलू हथियार निर्माण में जिस तरह से तेजी ला रही है, उसको लेकर भारत के पड़ोसी देश चीन व पाकिस्तान चिंतित हैं, बल्कि अमेरिका और यूरोपीयन देश भी खासे तनाव में दिखाई दे रहे हैं। बीते तीन माह से रूस का यूक्रेन पर सैन्य अभियान जारी है, और दौरान जिस तरह से यूक्रेन को रूस व अमेरिका ने युद्ध का मैदान बनाकर अपनी महात्वाकांक्षाओं को पूरा करने का नंगा नाच किया है, उसके बाद दुनिया के अच्छे अच्छे देशों को समझ आ गया होगा कि अपनी सुरक्षा अपने हाथ ही बेहतर है।
यूक्रेन की तरह यदि कोई देश अमेरिका या चीन जैसे दोहरे बर्ताव वाले देशों के भरोसे अपने सुरक्षा की चिंता छोड़ देता है, तो उसको रूस जैसा शक्तिशाली देश कभी भी रौंदकर यूक्रेन बना सकता है। यूक्रेन की हालत का जिम्मेदार जितना रूस है, उससे ज्यादा अमेरिका है, और इन दोनों ही से कहीं अधिक यूक्रेन का कॉमेडियन राष्ट्रपति जेलेंस्की दोषी है, जो यह नहीं समझ पाया कि अमेरिका व रूस जैसे हाथियों की लड़ाई में 'घास का ही नाश होता है'। यूक्रेन के अदूरर्शी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने अमेरिका की बातों में आकर खुद को घास की तरह रौंदने मॉस्को व पैंटागन जैसे दो हाथियों को आमंत्रित कर लिया।
नतीजा यह हुआ है कि रूस ने द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अपना सबसे बड़ा सैन्य अभियान चला रखा है तो शुरू में यूक्रेन को सहायता देने के झूठे वादे करने वाला अमेरिका युद्ध शुरू होने पर ना केवल उसकी सैन्य सहायता से पीछे हट गया है, बल्कि अरबों डॉलर के अपने कबाड़ हो चुके हथियार यूक्रेन को बेचकर दोहरा लाभ उठा चुका है। यह अमेरिका की हमेशा से ही नीति रही है, उसके लिए अपने लक्ष्यों को पूरा करने के सामने मानवता का कोई मूल्य नहीं है।
वह ऐसा दुनिया के कई देशों में कर चुका है और बरसों से ऐसे ही करता आ रहा है। जो देश अमेरिका की इस नीति को जानते हैं, वो कभी उसके बहकावे में नहीं आते, लेकिन कुछ जेलेंस्की जैसे निकट दृष्टिदोष के रोगी भी होते हैं, जिनको अधिक दूर तक दिखाई नहीं देता और ऐसे लोग अपने ही देश को बर्बाद करने के लिए अमेरिका व रूस जैसे आधुनिक दैत्यों को आमंत्रित कर लेते हैं।
चाहे गरीब रहा हो, या विकासशील, लेकिन भारत कभी भी अमेरिका की इस नीति की चपेट में नहीं आया। इसलिए आजादी के आज 75 साल बाद भी अमेरिका भारत को अपना पिछलग्गू बनाने का सपना ही देखता रहता है। यह बात और है कि भारत से एक दिन पहले आजाद हुआ पाकिस्तान 1947 से लेकर अब तक कम से कम पांच बार अमेरिका के कहने पर भारत के खिलाफ जंग करके खुद का और अपने बड़े भाई समान पड़ौसी भारत का नुकसान कर चुका है। पाकिस्तान आज भी अमेरिका के लिए खेलने का मैदान बना हुआ है, जहां पर वह कभी भी खेलने के लिए घुस जाता है और मन भरते ही निकल जाता है।
इससे जहां पाकिस्तान कंगाली के मुहाने पर आ गया है, वहीं भारत को भी अपनी सुरक्षा मजबूत करने को मजबूर होना पड़ा है। ऐसे ही दूसरी तरफ चीन जैसा ड्रेगन है, जो हमेशा अपनी विस्तारवादी नीति के कारण पड़ोसियों को काल का ग्रास बनाने को आतुर रहता है। बीते 70 साल में चीन अपने कई पड़ौसी छोटे देशों को अपना शिकार बना चुका है। उसकी भारत पर हमेशा टेढ़ी नजर रही है और जब भारत विकास के पथ पर दौड़ रहा है, तब चीन को ज्यादा तकलीफ हो रही है, जिसके कारण वह भारत को सैन्य अभियान में उलझाकर विकास के मार्ग से दिगभ्रमित करने की साजिशें करता रहता है।
ऐसे में भारत के सामने पश्चिम और उत्तरी छोर से दोहरी चुनौती बनी रहती है। भारत इन दोनों पड़ोसियों द्वारा सीमापार से की जाने वाली गतिविधियों को लेकर हर वक्त सतर्क रहता है। चीन व पाकिस्तान की हमेशा घात लगाकर हमला करने की नीति के कारण इसी सतर्कता को भारत और मजबूत करना चाहता है, इसलिए चीन—पाकिस्तान सीमा पर भारत ने अबतक का सबसे मजबूत सुरक्षा चक्र बनाने का काम शुरू कर दिया है।
भारत सरकार के कार्यों का उल्लेख करते हुए अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन ने बताया है कि भारत ने चीन—पाकिस्तानी और चीनी खतरों से खुद को बचाने के लिए अगले महीने तक रूसी निर्मित एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली को तैनात करने का इरादा कर लिया है। पाकिस्तान—चीन के खतरे के मद्देनजर देश की रक्षा के लिए भारत की मंशा जून 2022 तक एस-400 मिसाइल प्रणाली की तैनाती करने की है। बीते आठ साल से मोदी सरकार व्यापक सैन्य आधुनिकीकरण में जुटी है, जिसमें वायुसेना, थलसेना और नौसेना समेत रणनीतिक परमाणु बल शामिल हैं। अमेरिका की रक्षा खुफिया एजेंसी के निदेशक लेंफ्टिनेंट जनरल स्कॉट बेरियर ने अमेरिकी सांसद की सशस्त्र सेवा समिति के सदस्यों को यह जानकारी दी है। इसी सुरक्षा चक्र को मजबूत करने के लिए भारत को पिछले वर्ष दिसंबर से रूस से एस-400 मिसाइल प्रणाली मिलने लगी है।
रूस से खरीदे गये S-400 की सबसे बड़ी खासियत इसका मोबाइल होना है, यानी रोड के जरिए इसे कहीं भी लाया ले जाया जा सकता है। इसमें 92N6E इलेक्ट्रॉनिकली स्टीयर्ड फेज्ड ऐरो रडार लगा हुआ है, जो करीब 600 किलोमीटर की दूरी से ही मल्टिपल टारगेट्स को डिटेक्ट कर सकता है। ऑर्डर मिलने के 5 से 10 मिनट में ही ये ऑपरेशन के लिए रेडी हो जाता है।
अक्टूबर 2021 तक भारत की सेना अपनी जमीनी तथा समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए तथा साइबर क्षमताओं को बढ़ाने के लिए उन्नत निगरानी प्रणालियों की खरीद पर विचार कर रही थी। दिसंबर में भारत को रूसी एस-400 मिसाइल प्रणाली की प्रारंभिक खेप प्राप्त हुई और पाकिस्तान तथा चीन से खतरे को देखते हुए भारत जून 2022 तक इस प्रणाली के संचालन की योजना बना रहा है।
भारत अपने हाइपरसोनिक, बैलेस्टिक, क्रूज प्रक्षेपास्त्रों का निर्माण कर रहा है और वह हवाई रक्षा मिसाइल क्षमताओं को विकसित कर रहा है, इसी क्रम में भारत 2021 से लगातार अनेक परीक्षण कर रहा है। अंतरिक्ष में भारत के उपग्रहों की संख्या बढ़ रही है और वह अंतरिक्ष में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है। भारत एकीकृत थियेटर कमान स्थापित करने की दिशा में कदम उठा रहा है, इससे उसके तीनों सशस्त्र बलों की संयुक्त क्षमता में सुधार होगा।
पैंटागन का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2019 के बाद से भारत के घरेलू रक्षा उद्योग को विस्तार देकर और विदेशी कंपनियों से रक्षा खरीद कम करने की नीति अपना कर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने को प्राथमिकता दी है। भारत के रूस के साथ दीर्घकालिक रक्षा संबंध हैं। यूक्रेन पर रूस के आक्रमण पर भी भारत ने तटस्थ रुख अपनाया है और लगातार शांति बनाए रखने की मांग की है। भारत हिंद प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता सुनिश्चित करने और समृद्धि को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है। भारत साइबर सुरक्षा पर खुफिया तथा अभियानगत सहयोग को प्रगाढ़ करने, अहम सूचना ढांचे की रक्षा आदि मुद्दों पर जोर देता है।
अफगानिस्तान सरकार के सत्ता छोड़ने के बाद भारत हमले की आशंकाओं से चिंतित है। भारत को चिंता है कि पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद, जिन्हें अफगानिस्तान के तालिबान का समर्थन प्राप्त हैं,उस पर हमले कर सकते हैं। इसलिए अपनी सीमाओं को चाक चौबंद करने में जुटा है। भारत 2003 में किए गए संघर्ष विराम समझौते को लेकर प्रतिबद्ध है, पर वह आतंकवादी खतरों से निपटने के लिए दृढ़ है और उसने कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियान चलाए हैं।
अमेरिका ने आशंका जताते हुए कहा है कि भारत और पाकिस्तान के सैनिकों के बीच कभी कभार छोटी- मोटी झड़पें होती रहेंगी, लेकिन पाकिस्तान के आतंकवादियों द्वारा भारत में किसी बड़े आतंकवादी घटना को अंजाम देने की सूरत में भारत बड़ी सैन्य कार्रवाई कर सकता है। भारत और चीन के बीच संबंध वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच वर्ष 2020 में हुई हिंसक झड़प के बाद से तनावपूर्ण बने हुए हैं। वर्ष 2021 में दोनों देशों के बीच राजनयिक स्तर की और सैन्य स्तर की कई दौर की वार्ता हो चुकी हैं, जिसके बाद गतिरोध वाले कई स्थानों से सैनिकों को हटाया गया है। दोनों पक्षों के अभी भी कम से कम 50 हजार सैनिक, तोप, गोलाबारूद, रॉकेट लॉन्चर सीमा पर तैनात हैं और दोनों ही देश वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास ढांचागत निर्माण कार्य कर रहे हैं।
पैंटागन के बयान ने साफ कर दिया है कि भारत अपनी सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए किस दर्ज की तैयार में जुटा हुआ है। भारत ने बीते आठ साल के दौरान सबसे अधिक ध्यान अपनी सीमाओं को सुरक्षित करने में दिया है। मोदी सरकार का मानना है कि यदि देश में आंतरिक व बाहरी सुरक्षा मजबूत होगी, तो भारत में वैश्विक निवेश बढ़ेगा, जिससे कारोबार मे वृद्धि होगी और देश की करीब 65 करोड़ युवा आबादी के लिए काम धंधे विकसित होंगे, जो देश को विकास के पथ पर ले जाने के लिए बेहद जरुरी है। यही कारण है कि भारत सरकार घरेलू हथियारों व आयात किए गये रक्षा उपकरणों के जरिये देश की सीमाओं को पूरी तरह से चाक चौबंद करने में दिनरात जुटी हुई है।
चीन पाकिस्तान को 600 किलोमीटर दूर ही मजा चखा देगी भारत की रक्षा प्रणाली
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