कहते हैं ना कि एक व्यक्ति शुरुआत करने वाला चाहिए, फिर तो लाइन लग जाती है बयान पर बयान देने वालों की। तो राजस्थान कांग्रेस की मौजूदा परिस्थितियों में भी यही हो रहा है। एक विधायक क्या बोला गहलोत सरकार के खिलाफ, फिर तो एक के बाद एक नए विधायकों के सरकार विरोधी बयान सामने आने लगे।
जहां पहले कुम्हेर-डीग से विधायक व पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने सरकार को जमकर कोसा और गोविंद सिंह डोटासरा को भला बुरा कहा। विश्वेंद्र सिंह से पहले एक जनसभा में निवाई के युवा विधायक प्रशांत बैरवा ने एक जनसभा में सरकार से अपने विधानसभा क्षेत्र में विकास के लिए 200 करोड़ रुपए की मांग करने और नहीं मिलने पर ब्लैकमेल करने की बात कही।
इसी कड़ी में अब देवली उनियारा से कांग्रेस के विधायक और पूर्व बीजेपी भाजपा से दोसा से सांसद रहे हरीश चंद्र मीणा ने भी एक तरह से सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
हरीश मीणा जहां सरकार की ढीली-ढाली कार्यशैली से नाराज हैं तो वहीं लंबे वक्त से मंत्रिमंडल विस्तार में हो रही देरी को लेकर भी कुछ उखड़े-उखड़े नजर आ रहे हैं। जब उनसे पूछा गया कि वे सचिन पायलट के साथ हैं या अशोक गहलोत के तो पलटकर बोले ना तो मैं सचिन पायलट के साथ हूं और ना ही अशोक गहलोत के साथ हूँ। मैं जनता के साथ हूं।
मतलब हरीश चंद्र मीणा ने स्पष्ट कर दिया कि वे पब्लिक के साथ हैं। हालांकि, राजनीतिक गलियारों में इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं, लेकिन कुछ राजनीतिक जानकारों का कहना है हरीश चंद्र मीणा जानते हैं कि सरकार के खिलाफ सरकार विरोधी लहर बन चुकी है और वे आने वाले चुनाव में सत्ता विरोधी लहर से बचना चाहते हैं, इसीलिए वह कह रहे हैं कि वह किसी गुट में नहीं हैं, वे जनता के साथ हैं।
हालांकि, लगातार गहलोत सरकार के खिलाफ विधायकों का मुखर स्वर गहलोत के गले की हड्डी बनता जा रहा है और इससे वह रणनीतिक और राजनीतिक रुप से कमजोर नजर आ रहे हैं। लिहाजा दिल्ली दरबार में लंबे इंतजार के बाद अशोक गहलोत पहुंचे हैं और पंजाब का मसला अब धीरे-धीरे शांत होता हुआ नजर आ रहा है। ऐसे में सियासी जानकारों का मानना है कि अब राजस्थान की बारी है, और इसीलिए विधायकों में बेचैनी है।
आलाकमान अलग-अलग बार अपने अलग-अलग दूत भेजकर राजस्थान के कांग्रेस विधायकों और यहां की पब्लिक का मूड भी भाप चुका है। ऐसे में उम्मीदें लगाई जा रही है कि जल्द ही मंत्रिमंडल विस्तार और पायलट कैंप समेत सभी को संतुष्ट करने के बड़े फार्मूले पर कांग्रेस आलाकमान काम कर सकता है।
आपको याद हॉग, विधायक हरीश मीणा ने कहा कि डूब क्षेत्र के लोगों को पानी उपलब्ध कराने के लिए 2015 में 14 करोड़ रूपयों की बघेरा बड़ला डाबर कला पेयजल योजना शुरू की गई थी, जो 5 साल बाद भी पूरी नहीं हो सकी है, सरकार को इस योजना को 15 महीने में पूरा करना था। वह 5 साल बाद भी पूरी नहीं हुई है, जिसका खामियाजा आमजन को जल संकट के रूप में भुगतना पड़ रहा है।
कुल मिलाकर हरीश मीणा के इन बयानों के पीछे उनके इलाके में काम नहीं होना, विकास ठप होना, आमजन में विधायक के साथ-साथ सरकार विरोधी माहौल बनने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
अब देखने वाली बात यह होगी, कि पिछले 15 महीनों से आलाकमान लगातार राजस्थान के विषय में कई तरह के विचार मंथन कर रहा है। तमाम सरकार विरोधी बातें और विधायकों की राय उसके आधार पर कड़े फैसले लेकर राजस्थान की सियासी हलचल को विराम दे सकता है।
लिहाजा इन दिनों सभी एकटक नजरें गढ़ाए कांग्रेस के दिल्ली दरबार की ओर देख रहे हैं, जिसका कोई नतीजा आजकल में आने की उम्मीद है, तो इसके साथ ही आने वाली दिनों में कांग्रेस में विधायकों की बयानबाजी और तेज हो सकती है।
सियासी भारत के लिए रामकिशन गुर्जर की रिपोर्ट
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