पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच राजनीतिक दूरियां इतनी बढ़ गई हैं कि वे एक दूसरे का मुंह तक देखना पसंद नहीं करते हैं। बीते साल 11 अगस्त को जब पायलट और गहलोत के बीच कांग्रेस आलाकमान के द्वारा समझौता करवाया गया था, उस वक्त आखिरी बार दोनों को एक साथ देखा गया था, उसके बाद बीते 14 माह में एक बार भी दोनों नेता साथ नहीं दिखे हैं।
दोनों के बीच सियासी खाई इतनी बड़ी हो गई है कि जहां सचिन पायलट का कार्यक्रम होता है, वहां अशोक गहलोत अपना प्रोग्राम रद्द कर देते हैं। इसके एक नहीं, बल्कि पिछले 14 महीनों में आधा दर्जन से ज्यादा उदाहरण सामने आये हैं। हालांकि, विधानसभा के भीतर जरुर पायलट व गहलोत कभी कभार एक साथ सदन की बैठकों में दिखे, लेकिन वहां भी दोनों की नजरें नहीं मिलीं।
साल 2020 की 11 अगस्त को दोनों नेताओं के मध्य कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के द्वारा बीच बचाव कर करवाये गये समझौते के उपरांत पहली बार 20 अगस्त को 2020 को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती पर कांग्रेस मुख्यालय में अशोक गहलोत के जाने का कार्यक्रम था, इसके लिये प्रोटोकॉल के पूरे इंतजाम भी कर दिये गये थे, लेकिन ऐन वक्त पर जब पता चला की कार्यालय में सचिन पायलट भी पहुंच रहे हैं तो अचानक से सीएम गहलोत ने अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया।
इसी तरह से दूसरी बार 31 अक्टूबर 2020 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर भी सचिन पायलट की वजह से अशोक गहलोत ने कांग्रेस मुख्यालय जाना उचित नहीं समझा। बताया गया कि गहलोत की तबियत नासाज होने की वजह से कार्यक्रमा कैंसिल हुआ था। इसी तरह से इस 20 अगस्त 2021 को भी सचिन पायलट ही कांग्रेस मुख्यालय गये, अशोक गहलोत ने लगातार दूसरे साल राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर पूर्व निर्धारित कार्यक्रम रद्द कर दिया।
कांग्रेस द्वारा किये गये प्रदर्शनों में भी दोनों नेता साथ नहीं रहे। किसान आंदोलन को लेकर कांग्रेस के धरने में सचिन पायलट समेत तकरीबन पूरा मंत्रीमंड़ल था, लेकिन इस मौ पर भी अशोक गहलोत नहीं आये। इस साल केंद्र के खिलाफ महंगाई को लेकर कांग्रेस पार्टी के कार्यक्रम में भी सचिन पायलट जयपुर में होने के बाद भी पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा वाले कार्यक्रम में शामिल नहीं हुये। पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट दौसा से सीधे सांगानेर हवाई अड्डे के पास पेट्रोल पम्प पर हुये प्रदर्शन में शामिल हुये, जबकि पूरा कार्यक्रम शहर में रखा गया था। हालांकि, इसमें खुद गहलोत भी शामिल नहीं हुये।
इसके अलावा 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के मौके पर हुये कांग्रेस के कार्यक्रम में भी अशोक गहलोत ही शामिल हुये, जबकि सचिन पायलट अपने दो दिवसीय दौरे पर मुंबई चले गये थे। इतना ही नहीं, बल्कि लखीमपुर खीरी में हुये किसान हादसे के बाद 5 तारीख को कांग्रेस ने प्रदेशभर में विरोध प्रदर्शनों के कार्यक्रम रखे थे, जिसमें अशोक गहलोत शामिल हुये, लेकिन पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट अपने विधानसभा क्षेत्र टोंक में रहे।
कुल मिलाकर देखा जाये तो सरकार में बगावत के वक्त अशोक गहलोत ने सार्वजनिक रूप से सचिन पायलट को निकम्मा, नाकार और झगड़ालू कहा था, जिसके बाद कहा जाने लगा कि पायलट का मन गहलोत की शक्ल देखने का भी नहीं रहा। ऐसे ही अशोक गहलोत भी सचिन पायलट से नजर चुराने का बहाना ढूंढ़ते रहते हैं। यह बात सही है कि दोनों के बीच बाहर से समझौता हो गया है, किंतु मन में बनी दूरियां खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं।
गौरतलब है कि 13 जुलाई 2020 को सचिन पायलट के साथ कांग्रेस के कई विधायकों ने गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत कर दी थी, जिसके बाद पायलट कैंप हरियाणा के मानेसर में चला गया था, जबकि गहलोत कैंप पूरे एक माह से जयपुर और जैसलमेर की दो होटलों की बाड़ेबंदी में रहा था। बाद में कांग्रेस आलाकमान ने बीच बचाव कर 11 अगस्त 2020 को दोनों नेताओं के बीच समझौता करवाया था। तीन सदस्य एक कमेटी बनी थी, जिसकी सिफारिशों के आधार पर पायलट कैंप की मांगों पर काम करना था, लेकिन 14 महीने बीतने पर भी कमेटी की सिफारिशों पर कोई कदम नहीं उठाया गया है।
पायलट से आंखें क्यों नहीं मिलाते गहलोत?
Siyasi Bharat
0
Post a Comment