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पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा का निधन, अशोक गहलोत के धुर विरोधी मदेरणा 10 साल बाद पिछले दिनों ही सलाखों से बाहर आये थे

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के धुर विरोधी माने जाने वाले राजस्थान के पूर्व जलदाय मंत्री महिपाल मदेरणा का आज निधन हो गया है। कैंसर की बीमारी से जूझ रहे महिपाल मदेरणा को पिछले दिनों ही 10 साल बाद जमानत मिली थी। 

इस दरमियान करीब 2 साल से उनका मुंबई के एक अस्पताल में कैंसर का उपचार किया जा रहा था। महिपाल मदेरणा अपने पिता स्वर्गीय परसराम मदेरणा की छत्रछाया में 19 बरस तक जोधपुर के जिला प्रमुख रहे। इसके बाद लगातार दो बार जोधपुर की ही ओसियां विधानसभा सीट से विधायक रहे। 

अशोक गहलोत की पिछली सरकार में 2008 से लेकर 2011 तक के राज्य के जलदाय मंत्री रहे। इसके बाद वर्ष 2011 में जोधपुर की एक भंवरी देवी के अपहरण और हत्या कांड के मामले में महिपाल मदेरणा को सीबीआई द्वारा 2 दिसम्बर 2011 को गिरफ्तार कर लिया गया था। महिपाल मदेरणा तब से लेकर लगातार 10 साल तक सलाखों के पीछे थे। 

पिछले दिनों की सीबीआई की विशेष अदालत ने महिपाल मदेरणा को जमानत दी थी। बीते करीब 2 साल से उनका मुंबई के एक कैंसर अस्पताल में उपचार चल रहा था। महिपाल मदेरणा के परिवार में उनकी पत्नी लीला मदेरणा, हाल ही में जोधपुर की जिला प्रमुख बनी हैं।

 इसके साथ ही उनकी दो बेटियां हैं, जिनमें से एक बेटी दिव्या मदेरणा वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान ओसियां से विधायक चुनी गई थीं। महिपाल मदेरणा के पिता स्वर्गीय परसराम मदेरणा का 16 फरवरी 2014 को तब निधन हो गया था, जब महिपाल मदेरणा जेल में थे। 

कहा जाता है कि आज़ादी के बाद करीब 5 दशक तक मारवाड़ की राजनीति मदेरणा परिवार के इर्द-गिर्द ही घूमती थी। खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 1980 से लेकर 1998 तक लगातार जोधपुर से सांसद रहे थे और उनके सांसद रहने के पीछे सबसे बड़ा कारण मदेरणा परिवार ही था। 

यह भी कहा जाता है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत परसराम मदेरणा के राजनीतिक शिष्य थे, लेकिन एक समय ऐसा आया, जब मदेरणा परिवार की बर्बादी का सबसे बड़ा कारण मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ही माना गया। 

वर्ष 2011 में जब महिपाल मदेरणा को सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किया था, तब मारवाड़ की राजनीति में यह चर्चा आम हो गई थी कि अपने गुरु के बेटे को फंसाने के पीछे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ही हाथ है। यह भी कहा जाता है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चाहते तो 2011 में भंवरी देवी हत्याकांड मामले में महिपाल मदेरणा को फंसने से बचा सकते थे। 

आपको याद होगा वर्ष 2011 में जब भंवरी देवी का अपहरण और हत्या हुई थी, तब किसी भी समुदाय या बड़े पैमाने पर लोगों के द्वारा सीबीआई जांच की मांग नहीं की गई थी, इसके बावजूद तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा अपनी ही सरकार में जलदाय मंत्री महिपाल मदेरणा और एक सरकारी एएनएम भंवरी देवी की सेक्स सीडी वायरल होने सीबीआई को जांच सौंप दी थी। 

उसके बाद सीबीआई की विशेष अदालत के आदेश पर 2 दिसंबर 2011 को महिपाल मदेरणा को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, इस प्रकरण में कांग्रेस के तत्कालीन विधायक मलखान सिंह विश्नोई समेत कई लोगों को पकड़ा गया था, लेकिन सीबीआई ने महिपाल मदेरणा को मुख्य आरोपियों की सूची में रखा था। 

जबकि आज तक भी सीबीआई यह बात साबित नहीं कर पाई है कि महिपाल मदेरणा का सीधे तौर पर भंवरी देवी अपहरण और हत्याकांड में हाथ था। यही कारण है कि पिछले दिनों सीबीआई विशेष अदालत के द्वारा पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा को जमानत दे दी गई थी। 

राजनीति में चर्चा आम है कि जब 2008 में कांग्रेस की सरकार का गठन हुआ था, तब ढाई साल तक अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनना था और उसके बाद अगले ढाई साल महिपाल मदेरणा को मुख्यमंत्री बनाया जाना था। लेकिन, अशोक गहलोत ने अपनी राजनीतिक चतुराई का परिचय देते हुए महिपाल मदेरणा को मुख्यमंत्री बनने से रोक दिया। 

यह भी कहा जाता है कि जब 2011 में अशोक गहलोत पर इस्तीफा देने का दबाव बढ़ा और महिपाल मदेरणा को मुख्यमंत्री बनाने के लिए कांग्रेस आलाकमान तैयार हो गया था, ऐसे समय में भंवरी देवी की सेक्स सीडी वायरल हुई थी। 

चर्चा है कि भंवरी देवी और महिपाल मदेरणा की सेक्स करते हुए सीडी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास काफी समय से पड़ी थी, लेकिन गहलोत उस सीडी का इस्तेमाल सही समय पर करना चाहते थे। 

कुछ लोग यह भी कहते हैं कि जब अशोक गहलोत से कांग्रेस आलाकमान के द्वारा इस्तीफा ले लिया गया था, तब गहलोत कैंप की तरफ से ही महिपाल मदेरणा और भंवरी देवी की सेक्स वीडियो मीडिया के द्वारा सार्वजनिक किया गया था। इसके बाद कांग्रेस आलाकमान ने महिपाल मदेरणा को मुख्यमंत्री बनाने से हाथ खींच लिए थे और इस प्रकार अशोक गहलोत की कुर्सी बच गई थी। 

भंवरी देवी की सेक्स सीडी के साथ ही अन्य कई प्रकार की घटनाओं की चर्चा राजनीतिक गलियारों में बीते 10 साल से होती रहती हैं, लेकिन असलियत यह है कि आज दिवंगत हो चुके महिपाल मदेरणा के जीवन के महत्वपूर्ण 10 बरस जेल में बीते थे। और यही एक बड़ी वजह थी कि उनके पिता परसराम मदेरणा बिना किसी बड़ी बीमारी के 87 साल की उम्र में दुनिया से रुखसत हो गए थे। 

लोगों का यह भी मानना है कि अगर महिपाल मदेरणा जेल नहीं जाते, तो परसराम मदेरणा कम से कम 5 बरस और जिंदा रहते, लेकिन अपने बेटे की दुख में परसराम मदेरणा दुनिया से जल्दी विदा हो गए। 

सियासी भारत के लिए एडिटर रामगोपाल जाट की रिपोर्ट

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