#Siyasibharat: योग और ध्यान मानव स्वास्थ्य के लिये परम उपयोगी है| प्रश्न यह है कि क्या हरियाली में किया गया योग और व्यायाम तुलनात्मक रूप से बेहतर स्वास्थ्य प्रदान करता है?
आयुर्वेद की संहिताओं में स्वास्थ्य-रक्षण और रोगोपचार दोनों के लिये ऐसे अनेक सन्दर्भ हैं (देखें, च.चि.3.260-266; च.चि.2/3, 26-30, च.चि.4.106-109; च.वि.6.17, सु.उ.47.55-57 आदि)| उक्त सभी सन्दर्भ केवल उदाहरणार्थ और प्राचीनता दर्शित करने के उद्देश्य से उद्धृत किये गये हैं|
समकालीन शोध में पिछले कई दशकों से विभिन्न विषयों के विद्वानों ने अपनी विधा के अनुसार इस बात की ओर ध्यान खींचा है कि प्रकृति से जुड़ने और मानव स्वास्थ्य में सुधार के बीच सकारात्मक संबंध है। मानव सभ्यता का अपने स्वास्थ्य, चिकित्सा और आध्यात्मिकता के लिये प्रकृति के साथ अन्योन्याश्रित जुड़ाव रहा है।
आयुर्वेद का लोक-पुरुष-साम्य सिद्धांत यह स्पष्ट करता है कि मानव और संसार एक समान हैं (च.शा.5.3: पुरुषोऽयं लोकसम्मितः) इस सिद्धांत के प्रकाश में देखने पर लोक या पृथ्वी के वातावरण का सीधा सीधा प्रभाव मानव के स्वास्थ्य पर पड़ता है क्योंकि लोक और पुरुष में समानता (च.शा.5.3: लोकपुरुषयोः सामान्यम्) है|
प्रकृति-अनुभव से स्वास्थ्य में सुधार की मैकेनिज्म ऑफ़ एक्शन को मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद में कमी, मन की प्रसन्नता में बढ़ोत्तरी, अच्छी निद्रा, मनोहारी अनुभूति, दर्द-नियंत्रण, बेहतर सामाजिक संपर्क, योग और व्यायाम में बढ़ोत्तरी, हृदय रोगों में कमी, प्रतिरक्षा तंत्र में सुधार आदि के प्रकाश में देखा जा सकता है।
शहरों में हरियाली से स्वास्थ्य लाभ के बारे में वर्ष 1800 के बाद से कई छिटपुट अध्ययन मिलते हैं और शहरी विकास में इन्हें शामिल करने के प्रयास भी दुनिया भर में हुये है। इन सब अध्ययनों में एक सन्देश मिल रहा था कि हरियाली को अनुभूत करना या हरियाली का एक्सपोज़र स्वास्थ्य के लिये लाभकारी है, परन्तु व्यवस्थित समीक्षा और मेटा-एनालिसिस अब आना शुरू हुये हैं।
हाल ही में हरियाली से मिलने वाले लगभग 100 प्रकार के स्वास्थ्य-लाभ के निष्कर्षों वाले 143 अध्ययनों को शामिल कर एक मेटा-एनालिसिस की गयी। इससे कई रोचक परिणाम मिले।
जैसे जैसे हरियाली के साथ जुड़ाव बढ़ा वैसे वैसे लार के कोर्टिसोल, हृदय गति, व डायस्टोलिक रक्तचाप में कमी पायी गयी। एचडीएल कोलेस्ट्रॉल व हृदय गति की परिवर्तनशीलता में बेहतरी हुई।
समय-पूर्व प्रसव-जोखिम, मधुमेह, तथा समस्त-कारण मृत्यु दर (आल-कॉज मोर्टेलिटी) और हृदय रोग मृत्यु दर में भी कमी पाई गयी| स्ट्रोक, उच्च रक्तचाप, डिस्लिपीडेमिया, अस्थमा, और कोरोनरी हृदय रोग की घटनाओं में भी कमी होती गयी।
अलग अलग अध्ययनों को देखने पर यह भी स्पष्ट हुआ कि स्वास्थ्य परिणामों में 66.7 प्रतिशत से 100 प्रतिशत तक बेहतरी हुई है| इनमें न्यूरोलॉजिकल, कैंसर, व श्वसन रोगों से मृत्यु दर में कमी भी पाई गयी (देखें, सी. टोहिग-बेनेट, ए. जोन्स, एनवायर्नमेंटल रिसर्च, 166: 628-637, 2018)।
इस विषय में सबसे भारी अध्ययन जिसका वित्त-पोषण विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा किया गया था, वह वर्ष 2019 में दुनिया के एक अगुआ जर्नल में प्रकाशित हुई| हरियाली को स्वास्थ्य-निर्धारक, स्वास्थ्य में सुधार, और विभिन्न प्रसन्नता के लिये उपयोगी माना जाता रहा है।
इस व्यवस्थित अध्ययन में विश्व भर के अनुदैर्ध्य अध्ययनों से प्राप्त प्रमाणों की इस बात के लिये समीक्षा की गयी कि हरियाली, पार्क्स, गार्डन्स आदि की उपलब्धता का सकल मृत्यु दर में प्रभाव क्या है। इस मेटा-एनालिसिस में प्रारम्भ में 9298 अध्ययन और 13 अन्य अध्ययनों की पहचान की गयी|
इनमें से 9234 (99 प्रतिशत) अध्ययनों को शीर्षक और सारांश जांचने के बाद अपग करते हुये शेष 77 अध्ययनों में से 68 (88 प्रतिशत) को सम्मिलित किया गया। उक्त के साथ ही मात्रात्मक मूल्यांकन हेतु नौ (12 प्रतिशत) अध्ययनों को शामिल किया|
इनमें सात देशों के 8.32 लाख व्यक्ति शामिल थे। कुल मिलाकर निष्कर्ष स्पष्ट करते हैं कि आसपास की हरियाली और सकल-कारण मृत्यु दर के बीच एक व्युत्क्रम रिश्ते का प्रमाण पाया गया। कहने का तात्पर्य यह कि जैसे जैसे हरियाली की उपस्थिति बढ़ती जाती है वैसे वैसे सभी कारणों से मृत्यु दर में कमी आती जाती है|
सन्देश यह है कि मानव समाज जहाँ रहता और काम करता है वहां हरियाली बढ़ाने और जैव-विविधता संरक्षण को बढ़ावा देना मानव स्वास्थ्य के लिये बहुत उपयोगी है (देखें, डी. रोजस रुएडा आदि, द लैंसेट प्लेनेटरी हेल्थ, 3,11:ई469-ई477, 2019)|
एक अन्य महत्वपूर्ण मेटा-एनालिसिस में बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न पर जांच की गयी कि गर्भावस्था में प्रतिकूल परिणामों पर आवासीय हरियाली का क्या प्रभाव रहता है| इसमें कुल 36 अध्ययन शामिल थे और कुल मिलाकर 1.19 करोड़ (11.9 मिलियन) प्रतिभागी थे।
परिणाम स्पष्ट करते हैं कि हरियाली वाले स्थलों में जन्म के समय न्यूनतम वजन का जोखिम उच्च स्तर की हरियाली वाले समूह में काफी कम था। गर्भावधि उम्र कम रहने की संभावना भी उच्च हरियाली वाले क्षेत्रों में घटी पायी गयी।
इसके अलावा अधिक हरियाली वाले क्षेत्रों में मातृ-जोखिम कम पाया गया और मानसिक विकारों में भी कमी पायी गयी। यह समीक्षा आवासीय हरियाली और गर्भावस्था के प्रतिकूल परिणामों के बीच एक उलटे रिश्ता होने की पुष्टि करती है।
अध्ययन के निष्कर्ष स्पष्ट कर देते हैं कि हरियाली गर्भवती महिलाओं के लिये जोखिम घटाती है (वाइ. झान आदि, साइंस ऑफ़ द टोटल एनवायरनमेंट, 718: आर्ट. 137420, 2020)।
इस तमाम चर्चा का मूल संदेश यह है कि पर्यावरण के साथ हमारे संबंध हमारे शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करते हैं। प्रकृति-अनुभव अनेक रूपों में हो सकता है।
आसपास हरियाली को बढ़ावा देना, वनों उपवनों में घूमना, प्राकृतिक स्थलों में सैर-सपाटा, प्रतिदिन समीपवर्ती बाग-बगीचों में जाकर कम से कम दो घंटे का समय बिताना, हरियाली में योग और ध्यान करना, कार्य-स्थलों में हरियाली बढाने के लिये छोटे-छोटे गार्डन या बगीची विकसित करना, बैठने के स्थान में खिड़की से दिखने वाला हरा-भरा दृश्य, कार्यालय में पांच मिनट का ब्रेक लेकर हरियाली में टहल कर आना या ध्यान करना आदि सब छोटे-छोटे ऐसे कार्य हैं, जिनके माध्यम से हमारा प्रकृति के साथ जुड़ाव बना रहता है।
चूंकि प्रतिदिन योग और व्यायाम करना स्वास्थ्य के लिये आवश्यक है अतः व्यायाम और योग हरे-भरे स्थल, बाग-बगीचों, नदी या झील के समीप किया जाये तो शारीरिक मानसिक स्वास्थ्य के लिये अधिक उपयोगी है। बच्चों को भी प्रकृति-अनुभव कराइये। जीवन के प्रारम्भिक काल में प्रकृति से जुड़ाव मानव और प्रकृति के मध्य आजीवन सार्थक रिश्ता बनाने हेतु आवश्यक है।
डॉ. दीप नारायण पाण्डेय
(इंडियन फारेस्ट सर्विस में वरिष्ठ अधिकारी)
(यह लेखक के निजी विचार हैं और ‘सार्वभौमिक कल्याण के सिद्धांत’ से प्रेरित हैं|)
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