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जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव को लेकर केंद्र के नरेंद्र मोदी सरकार के द्वारा जो प्रयास किए जा रहे हैं, उसके लिए 25 जून को नई दिल्ली में एक अहम बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में जम्मू कश्मीर के सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है।
किंतु बैठक से पहले ही जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि जब तक भारत के द्वारा पाकिस्तान से बातचीत करके कश्मीर मसले को सुलझाया नहीं जाएगा, तब तक जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र की स्थापना नहीं हो सकती है और ना ही इस क्षेत्र की समस्या का स्थाई समाधान हो सकता है।
महबूबा मुफ्ती ने एक बार फिर से पाकिस्तान का राग अलाप ते हुए कहा है कि जब तालिबान के साथ भारत की बातचीत हो सकती है, तो पाकिस्तान के साथ भारत सरकार को बातचीत करने में क्या परेशानी है।
महबूबा मुफ्ती ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं कि जम्मू कश्मीर में जिस स्टैंड के ऊपर वह पहले कायम थीं, उसी स्टैंड पर अब है और वहां पर केंद्र सरकार के द्वारा शांति के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं, उसमें महबूबा मुफ्ती अड़ंगा जाती रखेंगी।
इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर के एक और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के द्वारा कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा उनको 25 जून को एक अहम बैठक में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया गया है, किंतु फारूक अब्दुल्ला ने साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया है कि उनका स्टैंड बिल्कुल साफ है, उनका एजेंडा बिल्कुल साफ है, इसमें किसी तरह की कोई दोराय नहीं हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार के द्वारा संसद में एक अहम बिल पास करते हुए जम्मू कश्मीर राज्य का विघटन किया था, जिसमें लद्दाख को अलग से केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था। साथ ही जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश रखते हुए विधानसभा की व्यवस्था भी की गई थी।
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