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अभिभावकों की मांगों के आगे झुकी सरकार, 10 व 12वीं माध्यमिक शिक्षा बोर्ड परीक्षा रदद्



-- अभिभावकों के संघर्ष की जीत हुई, परीक्षाओ को लेकर आपसी छवि ना चमकाए केंद्र और राजस्थान सरकार - संयुक्त अभिभावक संघ


जयपुर। विगत एक महीनों से छात्रों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान में रखकर केंद्र और राजस्थान सरकार से सीबीएसई, आईसीएसई और राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षा रदद् करने की मांग कर रहे अभिभावकों की मांगों के आगे केंद्र और राजस्थान सरकार को आखिरकार बोर्ड परीक्षा रद्द करनी ही पड़ी। मंगलवार को केंद्र सरकार ने सीबीएसई बोर्ड परीक्षा रद्द की थी और उसके बाद आईसीएसई बोर्ड ने भी 12 वीं की परीक्षा रद्द करने की घोषणा की थी। संयुक्त अभिभावक संघ भी लगातार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा से आरबीएसई बोर्ड की 10 और 12 वीं की बोर्ड परीक्षा रदद् करने की मांग कर रहा था, जिस पर राजस्थान सरकार ने बुधवार को कैबिनेट की बैठक में आरबीएसई बोर्ड की परीक्षा रदद् करने की घोषणा की। 

परीक्षा रद्द होने पर संयुक्त अभिभावक संघ ने कहा कि " अभिभावकों के संघर्ष की जीत हुई, वर्तमान परिस्थितियों में प्रत्येक अभिभावक बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को लेकर चिंतित था, अभिभावकों का कहना था कि बच्चे अगर स्वास्थ्य और सुरक्षित रहे तो कभी भी परीक्षा दे सकते है कोरोना संक्रमण के चलते कोई भी अभिभावक बच्चों की ज़िंदगी से समझौता नही कर सकता है। 

संघ प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर ना केंद्र सरकार गंभीर थी और ना ही राज्य सरकार गंभीर थी, अभिभावकों के आक्रोश के कारण केंद्र और राज्य सरकारों को परीक्षा रद्द करने का निर्णय लेना पड़ा। जिसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब दूसरी लहर में कोरोना संक्रमण विकराल रूप धारण कर चुका था और स्वास्थ्य की व्यवस्थाओं की सांसें फूलने लग गई थी तब किसी भी सरकार को चिंता नही हुई किन्तु अब जब कोरोना घटने लगा और तीसरी लहर का डर दिखने लगा तब केंद्र और राज्यों की सरकारें परीक्षा रद्द करने के लिए कतार में खड़े हो गए। यह निर्णय बहुत पहले हो जाना चाहिए था जिससे छात्रों को मानसिक तनाव के दौर से गुजरना नही पड़ता। 

प्रदेश उपाध्यक्ष मनोज शर्मा ने कहा कि किसी भी सरकार को बोर्ड परीक्षा से जुड़े छात्रों पर राजनीति नही करनी चाहिए, परीक्षा रद्द करने के पीछे बच्चों का स्वास्थ्य और सुरक्षा मुख्य रूप से कारण थे। जिस प्रकार केंद्र और राज्य सरकार छवि  चमकाने की होड़ लगाए हुए है उससे उन्हें बचना चाहिए। आज अगर अभिभावकों और छात्र-छात्राओं ने बोर्ड परीक्षा रद्द करवाने का दबाव बनाया है तो उसमें केंद्र और राज्य सरकार की नाकामियां जिम्मेदार है जो ना अभिभावकों को संतुष्टि पूर्ण जवाब दे पाए और ना बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा की जिम्मेदारी ले पाए। इसी के चलते अभिभावकों को अपने बच्चों के भविष्य से समझौता करना पड़ा। 

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